वृद्धावस्था में मधुमेह क़ी समस्या !
आजकल एक आम व्यक्ति ज्यादा अवधी के लिए जीवित रहने लगा है और इसी लिए मधुमेह भी उनमे ज्यादा पाया जाने लगा है!
वृद्धजानो में मधुमेह एक ज्वलंत समस्या बनता जा रहा है !
आजकल जितने भी मधुमेह के नये मरीज़ मिलते है, उनमे से अधिकांश बुज़ुर्ग होते है !
वृद्धजानो में मधुमेह क़ी पहचान करना और उसका निदान करना आम तरीकों से भिन्न होता है ! इसके लिए एक लचीलापन और हर मरीज़ के साथ एक नई पधात्ति अपनानी पड़ती है !
प्रश्न : वृद्धजानो में मधुमेह क़ी पहचान करना आम / युवा लोगों के मुकाबले किस प्रकार से अलग / भिन्न है ?
उत्तर : उम्र के बढ़ने के साथ ही व्यक्ति में कई प्रकार के शारीरिक बदलाव आ जाते है और उनके शारीर क़ी कार्यप्रणाली भी इस बदलाव के अनुरूप परिवर्तित होने लगती है ! ये बदलाव ही बुजुर्गों को युवा लोगों से अलग करते है ! इस लिए, वृद्धजान जिन्हें मधुमेह क़ी शिकायत हो जाती है, या होने क़ी संभावना प्रबल होती है, कई बार सामान्य लक्षण नहीं प्रदर्शित करते है जो क़ी एक सामान्य / युवा व्यक्ति प्रदर्शित करता है ! उम्र के साथ होने वाले बदलाव मधुमेह के कई लक्षणों को या तो छुपा देते है या उन्हें पहचानना मुश्किल कर देते है !
प्रश्न : युवा और बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों के निदान में क्या फर्क होता है ?
उत्तर : युवाओं के मुकाबले बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों के इलाज कई बार काफी जटिल हो जाता है ! उम्र के साथ होने वाली अन्य समस्याएँ मधुमेह के नियमनिष्ठ निदान को काफी मुश्किल या असंभव बना देती है ! प्रौढ़ लोगों की दैनिक कार्यषमता आम लोगों जैसी नहीं रहती है, और इस कारण मधुमेह का सुचारू निदान / दैनिक देखभाल, कई बार संभव नहीं हो पाता है ! दृष्टि बाध्यता / सुनने में कमी / गठिया / स्नायुतंत्र की कमज़ोरी भी सुचारू निदान में बाधा उत्पन्न करती हैं !
प्रश्न : बुज़ुर्ग जब मधुमेह का शिकार हो जाता है तो क्या उनकी लिए खतरे बढ़ जाते है ?
उत्तर : सामान्यतः बुज़ुर्ग व्यक्ति ज्यादा कमज़ोर होता है और उसकी रोगों से लड़ने की शक्ती भी कम होती है ! अतः मधुमेह से होने वाली जटिलता ज्यादा आसानी से दिखाई देती है और उन्हें संभालना ज्यादा कठिन होता है ! इसी तरह, कसरत / वर्जिश और खानपान में अनुकूल बदलाव करना भी काफी मुश्किल हो जाता है !
बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों में हर प्रकार की जटिलता आ सकती है ! दृष्टि बाध्यता / सुनने में कमी / गठिया / स्नायुतंत्र की कमज़ोरी बुज़ुर्ग लोगों में सामान्य तौर से मिलती है ! अन्य जटिलता, जैसे उदासी / सामाजिक सरोकार / पैसों की कमी / आत्मनिर्भर ना होना / आदि भी मधुमेह की इलाज में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं !
प्रश्न : आप के अनुसार बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों के निदान का लक्ष्य (Goal) क्या होता है /
उत्तर : बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों के निदान में हमारा लक्ष्य युवा मरीज़ों से भिन्न होता है ! कई दवाएं जो युवा मरीजों में सामान्य रूप से उपयोग में ली जाती है, बुज़ुर्ग मरीज़ों के लिए अनउपोयोगी या कम उपोयोगी साबित होती है ! इसी कारण बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों क़ी उपचार योजना को हर बुज़ुर्ग के अनुरूप बनाना होता है !
बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों के उपचार में एक जरारोग विशेषज्ञ (geriatrician) को बहु आयामी भूमिका (multi disciplinary role) निभानी पड़ती है !
निदान का लक्ष्य हमेशा मधुमेह सम्बंधित जटिलता कम करना ही होना चाहिये ! कई बार बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ अल्प निदान (under treatment) का शिकार हो जाते है ! डर यह रहता है क़ी कहीं शक्कर क़ी मात्रा अचानक बहुत कम ना हो जाए !
मेरे मतानुसार मधुमेह प्रबंधन का लक्ष्य (Goal) एक प्रौढ़ / बुज़ुर्ग मरीज़ के लिए इस प्रकार का होना चाहिए :
१ . खून में शक्कर क़ी मात्रा को नियंत्रित करना,
२ . मधुमेह से ह्रदय, आँख, स्नायु तंत्र (नसों) और गुर्दों पर होने वाले दुष्परिणामों को कम करना,
३. मधुमेह से होने वाली जटिलता को पहचानना और उनका समय रहते निदान करना,
४. खान पान, शारीरिक अवस्था और कार्यशमता में सुधर लाकर सामान्य स्वस्थ को बरक़रार रखना,
५. मधुमेह के स्वनियंत्रण के बारे में जानकारी, शिक्षा एवं परामर्श !
प्रश्न : क्या मधुमेह का निदान हर मरीज़ के लिए भिन्न होता है ?
उत्तर : युवा मरीज़ों के तरह ही बुज़ुर्ग मधुमेह के मरीज़ों का इलाज भी ह़र व्यक्ति के लिए भिन्न होता है ! हर बुज़ुर्ग के लिए (१) दवाई, (२) खान पान की योजना, (३) वर्जिश / कसरत के प्रकार और उनका समय, ख़ास तौर पर उस बुज़ुर्ग व्यक्ति के लिए ही योजनाबद्ध किया जाता है जिसे वे आसानी से अपना सकें और अपने सामान्य दिनचर्या में न्यूनतम बदलाव के साथ अपने मधुमेह को सामान्य स्थिति में रख कर मधुमेह से होने वाली जटिलता को न्यूनतम स्तर पर ला सकें !
आदर्श जरा चिकित्सा एक बहु आयामी सेवा है !
बुजुर्गों में एक सफल मधुमेह देखभाल के लिए
- उनके शारीर में हो रहे बदलाव के बारे में सही समझ का होना;
- सामाजिक परिवेश, जिसमे वह बुज़ुर्ग रहता है, का पूर्ण ज्ञान होना;
- जरा चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता, आहार विशेषज्ञ, और फ़िसिओथेरपिस्त के सही समायोजन से ही एक आदर्श मधुमेह निदान क़ी कोशिश क़ी जा सकती है !
--
डॉ. अतुल्य सौरभ
जीरियात्रिक केयर सेंटर
स्पेसिअलिटी क्लिनिक
C - ४, पारिजात काम्प्लेक्स,
प्रियदर्शिनी सुपर बाज़ार के ऊपर,
बिट्टन मार्केट चौराहा,
अरेरा कालोनी
भोपाल
Dr. Atulya Saurabh
Geriatrician
Geriatric Care Centre
SPECIALITY CLINIC
C-4, Parijat Complex,
Bittan Market Square,
Arera Colony,
Bhopal - 462016.
Comments